Wednesday, July 24, 2019

मन के मौसम हजार


मन के मौसम हजार ,
बदलते बार बार ,
कभी जेठ की दुपहरी सा ,
कभी सावन की फुहार। 

कभी ठंडा जनवरी सा ,
कभी मार्च की पुरवाई ,
कभी शांत समदंर सा ,
कभी नदियाँ की अंगड़ाई। 

कभी बंजर धरती सा ,
कभी खिले फूलो के उपवन सा ,
कभी जोश भरा लबालब ,
कभी पतझड़ सा। 

कभी डूबा डूबा सा ,
कभी हर कोना खाली सा ,
कभी बजती शहनाई ,
कभी मौसम रुसवाई सा। 

कभी गुस्से सा ,
कभी प्यार के सागर सा ,
घड़ी घड़ी  बदलता रहता है ,
चंचल है चकोर सा ।    


Sunday, July 14, 2019

यूँ ही बेवजह

यूँ ही बेवजह ज़िन्दगी को , 
मत उलझाइए , 
सीधी और सरल है , 
बस चलते जाइये।  

जो मिलेगा , 
वो मुकद्दर , 
जो नहीं मिलेगा , 
उस पर किसी और का हक़ , 
अपनी तरफ से , 
मंजिल की ओर , 
कदम बढ़ाते जाइये।  

दे अगर साथ कोई , 
नसीब आपका , 
नहीं तो , 
अकेले ही , 
चलते जाइये।  

हार जीत , 
सफलता असफलता , 
खोना -पाना ,
मन के भाव है , 
सीख कर कुछ फलसफे , 
मुस्कराहट होठों पर लेकर , 
आगे बढ़ जाईये।  

ये ज़िन्दगी है , 
रोज़ नए रंग दिखायेगी , 
कूची आपके हाथ में , 
अपने जीवन का चित्र, 
खुद बनाइये।  

Friday, July 12, 2019

जल



सलिल कहो या पय ,
मेघपुष्प या पानी, 
वारि कहो या नीर , 
तोय या उदक , 
मैं जल हूँ , जीवन हूँ।  

स्वादहीन , 
गंधरहित , 
आकारविहीन , 
पारदर्शी महीन, 
मैं जल हूँ , जीवन हूँ।  

बूँदे बनूँ तो बारिश , 
धार बनूँ तो नदियाँ , 
शांत पड़ा रहूँ  तो सागर , 
उमड़ घुमड़ में बादल, 
मैं जल हूँ , जीवन हूँ।  

प्यासे के लिए अमृत , 
धरा के लिए सखा , 
सागर से लिपटा , 
शिखरों में फैला स्वेत धवल , 
मैं जल हूँ , जीवन हूँ।  

सर्वत्र , 
सर्वव्यापी , 
स्वछंद , 
अनमोल मगर सीमित हूँ , 
मैं जल हूँ , जीवन हूँ।  

संभाल सको ,
तो जीवन हूँ , 
न संभला , 
तो प्रलय हूँ , 
मैं जल हूँ , जीवन हूँ।

Tuesday, July 9, 2019

डिजिटल युग ( हास्य )


डियर  शायद तुम उदास हो , 
क्यूंकि दो दिन से तुमने स्टेटस में कुछ डाला ही नहीं , 
डियर  शायद तुम कुछ दिनों से सजी संवरी नहीं , 
इंस्टाग्राम पर तुम्हारा कोई नया फोटो आया ही नहीं , 
शायद तुम्हे किसी के ऑनलाइन आने से डर लग रहा है , 
क्यूंकि व्हाट्सएप्प पर तुम्हारा लास्ट सीन घंटो से बदला ही नहीं।  

डियर  शायद तुम किसी बात से खफा हो , 
वर्ना फ़ोन स्विचड ऑफ तुम करती नहीं  , 
शायद कही घूमने भी नहीं जा पायी हो , 
फेसबुक में कुछ अपडेट आया ही नहीं।  
ट्विटर  पर फॉलोवर घटने लगे है , 
तुम्हारा ट्वीट अब वायरल होता ही नहीं।  


अब तो तुम्हारा हाल ऑनलाइन देखकर ही समझ लेता हूँ , 
फिर भी तुम कहती हो - मैं तुम्हारी  चिंता  नहीं करता हूँ।  

Friday, July 5, 2019

बारिश की पहली बूँद

बारिश की पहली बूँद 
जब धरा पर गिरी , 
सूखी मिट्टी ने उड़कर , 
उसे गले लगा लिया , 
रच बस कर जब दोनों गिरे , 
धरा पर , 
सावन आ गया।  

सोंधी सी सुगंध , 
मिट्टी बौरा गयी , 
बादलो ने देखो , 
उसकी झोली भर दी, 
लहलहा उठा , 
तन मन , 
कपोले उसके सीने से , 
फूट पड़ी , 
आलिंगन कर बारिश का , 
देखो ! धरा सज गयी।  

निर्लज्ज , बेवफा 
कितनी देर लगा दी , 
बूँदो तुमने धरा की , 
जान हलक में ला दी ,
आये हो अब तो , 
निहाल कर दो , 
कण कण में समा कर , 
 " मिट्टी " को सोना कर दो।