जब तक हम नहीं बद्लेगे, दुनिया नहीं बदलेगी.
जब हम बदलेंगे , तब ये दुनिया बदलेगी.
बदलने और बदलवाने की ये आंधी ,हम से ही शुरू होगी ,
तब जाकर आगे बढेगी.
एक एक के बदलने से, कारवां बनता जायेगा,
एक दिन फिर ये कारवां , बदलाव का सुनहरा सैलाब लायेगा.
तो बदलने की शपथ आज से ही लेनी होगी,
कल तो आता नहीं कभी, अभी से शुरुवात करनी पड़ेगी.
जो बुरा हैं वो बुरा हैं उसका विरोध करना ही पड़ेगा,
जो अच्छा है उसको स्वीकार करना ही पड़ेगा.
बनाना है दुनिया को अपने मुताबिक तो,
कुछ तो यहाँ करना पड़ेगा.