Wednesday, March 27, 2024

चालीस पार , नया संसार

 

चालीस पार अब नया बीस है ,

हड्डियाँ पुरानी मगर वही तीस है ,

अनुभव के साथ सीख नई है ,

अधपके बालों में ऐंठ वही है। 

 

जज्बातों का अब सलीका नया है ,

जोश के साथ समझदारी नई है ,

जेबें खाली नहीं रहती अब,

शौकों के लिये कोई कमी नहीं है। 

 

भावनाएँ अब ज्यादा नहीं भड़काती है ,

व्यावहारिकता का पाठ नया -नया है ,

भविष्य की कोरी कल्पना व्यर्थ है ,

जो है , जैसा है ,जहाँ है - वही सही है। 

 

तमाशेबाज़ी खूब देख ली ,

जिम्मेदारियाँ भी खूब निभा ली ,

जीवन अब तक समझ आ गया है,

समझदारी की ये कहानी नई -नई है। 

 

डर -शर्म का अब बोझ नहीं है ,

सबके कर्मों की किताब खुली पड़ी है ,

फर्क नहीं पड़ता अब "क्या कहेंगे लोग "

लोगों की यहाँ खुद लगी पड़ी है। 

 

न चिंता अब कैरियर बनाने की ,

न पढ़ाई -लिखाई का बोझ है ,

जो होना था , वो सब हो चूका है ,

ये मनमर्जियां अब नई -नई है। 

 

चालीस पार अब नया बीस है ,

हड्डियाँ पुरानी मगर वही तीस है ,

अनुभव के साथ सीख नई है ,

अधपके बालों में ऐंठ वही है।

Sunday, March 17, 2024

" धुन "

 ज़िन्दगी " मदारी " है , हम " जमूरे " , 

वक्त "डमरू" है , परिस्थितियाँ " धुन " है, 

बजना तय है - "नाचना" तो पड़ेगा ही , 

ज़िंदा रहने के लिये "थिरकना" जरुरी है।  


"थिरकन" तय करेगी रास्ता हमारा , 

अक्सर "रास्ते" कहाँ सरल होते है , 

"सरल" अगर सब कुछ होता यहाँ , 

"गुलाब " के साथ काँटे नहीं उगते।  


"काँटे" संघर्ष है , जीवटता है , 

"गुलाब " कामयाबी की दास्तां , 

उगने, पनपने और खिलने का सफ़र , 

धुन पर नाचते रहने का है परिणाम।