हुंकार से पर्वतो को कंपा दे,
अपने हाथो से नदियों का रुख मोड़ दे ,
गर्जना से जो बादलो को हटा दे ,
धधकती आग को जो पल भर में बुझा दे ,
पलक झपकते जो पहाड़ो को नाप दे ,
हालातो को जो अपने लिए मोड़ दे ,
अन्याय के लिए जो खुद को कुर्बान करने से न डरे ,
वो युवा अब हमें चाहिए और एक नहीं हजारो चाहिए ,
देश को सँभालने के लिए अब युवा चाहिए ,
बहुत हो चूका अब सब्र ,
देश हमारा हैं और हमें इसको सवारना हैं ,
एक नहीं पूरा रेला चाहिए ,
नौजवानों को अब हुंकार भरनी चाहिए ,
हर हालत में अब ये तस्वीर बदलनी चाहिए।
देश की तकदीर का फैसला हमें ही करना हैं ,
क्यूंकि इसका भविष्य हमें ही तय करना हैं ,
अतीत से सबक लेकर वर्तमान हमसे ही बनना हैं ,
भविष्य रहे सुरक्षित हाथो में आज ही हमें तय करना हैं।
जो जहां हैं, जैसा हैं - मुमकिन कोशिश होनी चाहिए ,
कल कभी आता नहीं , अभी और इसी पल से शुरुवात होनी चाहिए ,
जो गलत हैं वो गलत हैं - कहने का साहस होना चाहिए ,
अन्याय और अत्याचार के खिलाफ जंग मुखर होनी चाहिए .
ये धरती हमारी हैं और इस पर हमारा हक़ होना चाहिए .
कारवां ये परिवर्तन का अब चलना चाहिए ,
राह कठिन भले ही हो , बढते चलना चाहिए ,
एक लक्ष्य के लिए सब युवा अब चलने चाहिए .