मैं गाय हूँ ,
सागर तट पर डूबते सूरज को विदा करते हुए सोच रही हूँ !
क्यों मेरे नाम का इतना शोरशराबा हैं ? !!
मैं तो गाय हूँ ,
और दुसरो के काम आने के लिए ही जन्मी हूँ , फिर क्यों मेरे नाम से आज झगड़ा हैं ? !
मेरे दूध से पले बढे बच्चों को झगड़ते देख आज मैं सचमुच बड़ी दुखी हूँ !!
मैं गाय हूँ ,
मेरे लिए कोई भेद नहीं हैं , मेरे मन में किसी के लिए कोई क्लेश नहीं हैं !
मुझे " गौ माता " कहने वाले लोगों में आज इतना द्वेष क्यों हैं ? !!
मैं गाय हूँ ,
आप भी सूरज हो , क्या किसी खास के लिए ही चमकते हो ? !
अगर आप के लिए भी झगड़ा हो जाये और आपने चमकना छोड़ दिया तो क्या होगा ? !!
मैं गाय हूँ ,
मैं कामधेनु हूँ -प्यार से रखोगे तो सब कुछ न्यौछावर कर दूँगी !
आँख उठाने वालो का कार्त्तवीर्य अर्जुन के जैसे हाल कर दूँगी !!