नींद उडी हैं नेताओ की ,
ई वी एम में बंद हो गयी किस्मत।
कुछ अब सोच रहे जीत गए तो कैसे कमायेंगे ?
हार गए तो पाँच साल कैसे बितायेंगे ?
बड़ी कशमकश चल रही हैं ,
ज़िन्दगी नीरस सी लग रही हैं।
वादों -इरादों के पोस्टरों को जला दिया हैं ,
अब किसी के हाथ न पड़े , छुपा दिया हैं।
हर मतदाता को शक की निगाह से देख रहे हैं ,
लिया तो इन्होंने मुझसे से हैं , वोट पता नहीं - किसे दिया हैं ?
नेताजी के कट नहीं रहे दिन रात ,
चेले अब भी दिलासा दे रहे हैं - जीतोगे बस आप।
नेता जी ने अब विपक्षी उम्मीदवारों से भी दोस्ती कर ली हैं ,
अपने भाषणों में उसकी खिल्ली पर माफी माँग ली हैं।
समझौता हो गया है - तुम जीते तो हमारा भी काम करना ,
हम जीते तो तुम हमें अपना भाई ही समझना।
दोनों अब साथ साथ कहकहे लगाते हैं ,
चेले दोनों के साथ में अब पार्टी उड़ाते हैं।
इन्तजार में दिन कट रहे हैं ,
ख्याली पुलाव रोज़ बन रहे हैं।
एक दिन का राजा - मतदाता ,
अपने काम धंधे , रोज़ी रोटी के जुगाड़ में लग जाता हैं।
एक दिन का राजा - मतदाता ,
अपने काम धंधे , रोज़ी रोटी के जुगाड़ में लग जाता हैं।