कितना विश्वास ,
कितनी आशा ,
कितने सपनो का आगाज
,
कितनी उम्मीदों का सूत्रपात
,
कोई जब आकर कह दे हौले
से ,
"सब ठीक हो जायेगा।
"
पथरीली सी जीवन की भूमि
पर ,
आशा और उम्मीद उर्वरा
है ,
कर्मो का हल है ,
और पुरुषार्थ फसल है,
जीवन के अविरल प्रवाह
का ,
यही गूढ़ मंत्र है।
हर रोज़ कितना संघर्ष
,
मगर , उम्मीद कायम है
,
जीवन पथ पर रोज़ एक हौंसला
है ,
"सब ठीक हो जायेगा
"
जीवन पथ पर चलते रहने
का ,
तिलिस्मी मूल मंत्र है।