तू धीरे -धीरे ही सही , कदम बढ़ाये जा।
न सोच , कोई क्या कहेगा , लक्ष्य जगाये जा।।
जूनून पर तेरे हँसने दे , उसको सबल बनाये जा।
अँधेरे तेरे हिस्से जो आज है , जुगनू बन चमकाये जा।।
उजाले तेरे हिस्से के , आलिंगन को तैयार खड़े हैं।
बिना थके , बिना हारे - अलख दिल में जलाये जा।।
तेरा तुझसे ही मुकाबला , जीत - हार का संशय कहाँ।
परिणाम जो भी रहे कर्मों के, अपना अनुभव बढ़ाये जा ।।
खोने के लिये कुछ भी नहीं तेरे पास।
जो भी मिले , उसकी खुशियाँ मनाये जा।।