उम्मीद तब तक मत छोड़ो ,
जब तक अंतिम प्रयास न हो जाये,
और अंतिम प्रयास ऐसा करो ,
वो प्रयास का पर्याय हो जाय।
फँसे हो कभी घुप्प अंधेरों में ,
कोई जुगनू ही सहारा हो जाये ,
हो हार निश्चित तब भी ,
एक पुरजोर कोशिश की जाय।
दुःखों का भँवरजाल हो सामने ,
"खड़े हो ", इसी का जश्न मनाया जाये ,
सफलता - असफलता जो मिले राहों में ,
"स्वीकार कर" , आगे बढ़ा जाय।
सफर बढ़ रहा रोज़ आगे ,
क्या फर्क पड़ता है - कौन आगे , कौन पीछे
जहाँ भी ख़त्म हो सफर अपना ,
वहाँ एक " शिलालेख " गढ़ जाय।