इक पहाड़ से उगा ,
दूसरे पहाड़ से डूबेगा ,
इन दोनों पहाड़ों के बीच ,
पहाड़ों का एक आकाश ,
उस पहाड़ से जब उगा ,
तो उस पहाड़ में हुआ सवेरा ,
अब इस पहाड़ से नीचे ढलेगा ,
उस पहाड़ पहले होगी सांझ ,
दोनों पहाड़ों को बराबर मिलेगी ,
दिव्य भास्कर की किरणों की बरसात ,
फिर उतरेगा एक पहाड़ से अँधियारा ,
नीचे तलहटी पर घुप्प अन्धकार ,
टिमटिमायेगी कुछ कृत्रिम रोशनाईयां ,
कुछ इस पहाड़ , कुछ उस पहाड़ ,
बस सुनाई देगा अँधेरे में ,
बहते पानी का शोर ,
दूर कही किसी घर में ,
किवाड़ बंद करने की आवाज ,
उतर आयेंगे जंगलों से ,
तेंदुए , बाघ और सियार ,
सन्नाटे को कभी -कभार चीरती ,
दूर कही सड़क पर चलती मोटर कार ,
मनमोहक दृश्य ,नयनभिराम ,
जवान होती रात में ,
पहाड़ खामोश और विराम ,
इन्तजार में अगले सूरज का ,
तब तक पहाड़ों में अटूट विश्राम।