Wednesday, August 9, 2023

पहाड़ों की एक ढलती शाम

 

इक पहाड़ से उगा ,

दूसरे पहाड़ से डूबेगा ,

इन दोनों पहाड़ों के बीच ,

पहाड़ों का एक आकाश ,

उस पहाड़ से जब उगा ,

तो उस पहाड़ में हुआ सवेरा ,

अब इस पहाड़ से नीचे ढलेगा ,

उस पहाड़ पहले होगी सांझ ,

दोनों पहाड़ों को बराबर मिलेगी ,

दिव्य भास्कर की किरणों की बरसात ,

फिर उतरेगा एक पहाड़ से अँधियारा ,

नीचे तलहटी पर घुप्प अन्धकार ,

टिमटिमायेगी कुछ कृत्रिम रोशनाईयां ,

कुछ इस पहाड़ , कुछ उस पहाड़ ,

बस सुनाई देगा अँधेरे में ,

बहते पानी का शोर ,

दूर कही किसी घर में ,

किवाड़ बंद करने की आवाज ,

उतर आयेंगे जंगलों से ,

तेंदुए , बाघ और सियार ,

सन्नाटे को कभी -कभार चीरती ,

दूर कही सड़क पर चलती मोटर कार ,

मनमोहक दृश्य ,नयनभिराम ,

जवान होती रात में ,

पहाड़ खामोश और विराम ,

इन्तजार में अगले सूरज का ,

तब तक पहाड़ों में अटूट विश्राम।