बच्चों को लगने लगता है ,
उनके माता -पिता ने ,
उनके लिये किया ही क्या है ?
फिर एक पड़ाव उन्हें ,
बार -बार याद दिलाता है ,
जब उनके बच्चे हो जाते है ,
याद आता है अक्सर फिर ,
उनके माता -पिता ने बहुत त्याग किया है।
मगर इन दो पड़ावों के,
बीच का फ़ासला ,
कई बार बहुत लंबा हो जाता है ,
जीवन की आपाधापी में ,
वक्त निकलता जाता है ,
एक टीस सी फिर दिल को कचोटती है ,
अक्सर "धन्यवाद " कहने से पहले ,
माता -पिता का समय गुजर जाता है।