Saturday, October 5, 2024

असमंजस्य

 

असमंजस्य चहुँओर है ,

क्या गलत ,क्या सही - सब झोल है ,

उसकी सुनु ,  किसकी सुनु ,

श्रोता बेचारा बेहोश है ,

प्रलापों का शोर भयंकर ,

मति पर बहुत जोर है ,

अहम पर वहम भारी ,

मन व्यग्र और बैचैन है ,

देख कर दुनिया की हालत ,

मन कहता है - मौन ठीक है ,

दिमाग हर बार फिरकी लेता है ,

झमेले में फँसने की पुरानी आदत है ,

उठापटक के इस दौर में ,

पता नहीं - कौन दारा , कौन किंगकॉन्ग है ,

मध्यम मार्ग में खतरा बहुत है ,

अकेले रह जाने का डर है ,

मत उलझा करो सड़क पर ,

न जाने कौन क्या तुर्रम खान है ,

चलानी है तो खुद पर चलाओ ,

अब सुनने को कौन तैयार है ,

नया जमाना है ,नए मर्ज़ है,

सोशल मीडिया -नया मंच तैयार है ,

ज्ञान खोजने की जरुरत क्या है ,

गूगल बाबा तैयार है,

मत पेला करो जबरदस्ती का ज्ञान ,

यहाँ सब अब होशियार है।