असमंजस्य चहुँओर है
,
क्या गलत ,क्या सही
- सब झोल है ,
उसकी सुनु , किसकी सुनु ,
श्रोता बेचारा बेहोश
है ,
प्रलापों का शोर भयंकर
,
मति पर बहुत जोर है
,
अहम पर वहम भारी ,
मन व्यग्र और बैचैन है
,
देख कर दुनिया की हालत
,
मन कहता है - मौन ठीक
है ,
दिमाग हर बार फिरकी लेता
है ,
झमेले में फँसने की पुरानी
आदत है ,
उठापटक के इस दौर में
,
पता नहीं - कौन दारा
, कौन किंगकॉन्ग है ,
मध्यम मार्ग में खतरा
बहुत है ,
अकेले रह जाने का डर
है ,
मत उलझा करो सड़क पर
,
न जाने कौन क्या तुर्रम
खान है ,
चलानी है तो खुद पर चलाओ
,
अब सुनने को कौन तैयार
है ,
नया जमाना है ,नए मर्ज़
है,
सोशल मीडिया -नया मंच
तैयार है ,
ज्ञान खोजने की जरुरत
क्या है ,
गूगल बाबा तैयार है,
मत पेला करो जबरदस्ती
का ज्ञान ,
यहाँ सब अब होशियार है।