कहीं भावनाओ का आवेश है ,
कुछ शब्दों में आक्रोश है ,
कुछ पंक्तियाँ मरहम सी लगाती ,
कुछ भावनाओं का आवेग है।
कुछ शब्द जोश बढ़ाते ,
कुछ पंक्तियाँ जीवन दर्शन कहती ,
कही कुंठाओं का शोर गूँजता ,
किन्ही पंक्तियों से मुस्कान तैरती।
न रेल जैसा थरथराता हूँ ,
न ट्रक जैसा शोर करता हूँ ,
न कार जैसा आरामदायक ,
न प्लेन जैसा आसमां चीरता हूँ ।
कही उम्मीद की लौ ,
कही अवसाद चीरता हूँ ,
जीवन मर्मों को समझने के क्रम में ,
रोज़ कुछ लिखता और मिटाता हूँ।
"शब्द " तीर है और "कलम " धनुष ,
भावनाओं का तूणीर संग रखता हूँ ,
"जीवन " का समर क्षेत्र है ,
अपने "कारवाँ " को रोज़ ज़िंदा रखता हूँ।