Monday, November 1, 2010

दिल्ली मेट्रो + राजीव चौक = सांस लेने को जगह नहीं .........

कल ऑफिस से घर को निकला. ६:१५ पर ओखला स्टेशन से मेट्रो पकड़ी और आराम से सेंटर सेक्त्रैअत पंहुचा. फिर उधर से कश्मीरी गेट के लिए मेट्रो पकड़ी , थोडा भीड़ थी. राजीव चौक पर जैसे ही मेट्रो का गेट खुला , लगा जैसे तूफ़ान आ गया हैं. पहले तो उतरने वालो की धक्का मुक्की और फिर चड़ने वालो ने ऐसा कोहराम मचाया की पूरे कोच में सांस लेने की लिए जगह नहीं बची. जिन लोगो को न्यू दिल्ली उतरना था, वो कश्मीरी गेट पर ही उतर पाए.

इ.श्रीधरन साहब का आरामदायक सफ़र दिन पर दिन दर्दनाक होता जा रहा हैं, कुछ अहितियात नहीं बरते गए तो कुछ दिन बाद ये खबरें आएँगी की राजीव चौक से ट्रेन में चढ़ कर कुछ लोगो के दम घुटने से मौत हो गयी.

मेट्रो ट्रेन को मेट्रो ट्रेन ही रहने दे, लोकल ट्रेन न बनाये. अगर आप सोचे की राजीव चौक से ट्रेन पकड़नी हैं तो सावधान हो जाये. बेहतर हैं बस से ही घर चले जाए.

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