दुम्रलोचन , चंद- मुंड और रक्तबीजो की फिर फ़ौज खड़ी हो गयी ,
मच रहा चारो ओर हाहाकार ,
तुझे छोड़ अपना रूप एक बार फिर से ,
लेना होगा चंडी का अवतार।
मिल के एक बार फिर देना होगा सरस्वती और लक्ष्मी को ,
तुझको शक्तियां अपार ,
तुझे ही अब रण में उतरना होगा ,
करना होगा दुराचारियो का संहार ,
फिर से बताना पड़ेगा एक बार फिर ,
अबला रणचंडी भी हैं ,
काल भी उसके आगे लाचार ,
तुझे तलवार और खडग से खुद अपनी रक्षा करनी होगी ,
धृतरास्ट बन गए सब , कृष्णा ने ले लिया संन्यास .
मान मर्दन करने के लिए , तू हो जा सिंह पर सवार .
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