Wednesday, January 9, 2013

चंडी ............


दुम्रलोचन , चंद- मुंड और रक्तबीजो की फिर फ़ौज खड़ी हो गयी , 
मच रहा चारो ओर हाहाकार , 
तुझे छोड़ अपना रूप एक बार फिर से , 
लेना होगा चंडी का अवतार। 
मिल के एक बार फिर देना होगा सरस्वती और लक्ष्मी को , 
तुझको शक्तियां अपार , 
तुझे ही अब रण में उतरना होगा , 
करना होगा दुराचारियो का संहार , 
फिर से बताना पड़ेगा एक बार फिर , 
अबला  रणचंडी भी हैं , 
काल भी उसके आगे लाचार , 
तुझे तलवार और खडग से खुद अपनी रक्षा करनी होगी , 
धृतरास्ट बन गए सब , कृष्णा ने ले लिया संन्यास . 
मान मर्दन करने के लिए , तू हो जा  सिंह पर सवार . 

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