हर बार गिर कर फिर संभलता हूँ मैं ,
हर गम को भुला कर हँसता हूँ मैं ,
क्यूंकि गिर कर संभला नहीं तो फिर कैसे उठूंगा मैं ,
गम को दिल से लगा कर रखूँगा तो खुशियाँ कैसे मनाऊंगा मैं ,
हार- जीत , ख़ुशी- गम , मिलन - बिछुड़न ये सब जिंदगी के हिस्से ही हैं ,
ये ताउम्र चलते रहेंगे ,
फिर सोच सोच कर वक्त जाया क्यूँ करू मैं ,
मैं अपना काम करता चलता हूँ ,
परिणाम नियति पर छोड़ते चलता हूँ ,
ज़िन्दगी के इस कारवां को अपने ,
बेहतर, और बेहतर करते चलता हूँ.
हर गम को भुला कर हँसता हूँ मैं ,
क्यूंकि गिर कर संभला नहीं तो फिर कैसे उठूंगा मैं ,
गम को दिल से लगा कर रखूँगा तो खुशियाँ कैसे मनाऊंगा मैं ,
हार- जीत , ख़ुशी- गम , मिलन - बिछुड़न ये सब जिंदगी के हिस्से ही हैं ,
ये ताउम्र चलते रहेंगे ,
फिर सोच सोच कर वक्त जाया क्यूँ करू मैं ,
मैं अपना काम करता चलता हूँ ,
परिणाम नियति पर छोड़ते चलता हूँ ,
ज़िन्दगी के इस कारवां को अपने ,
बेहतर, और बेहतर करते चलता हूँ.
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