मिटा न सका कोई
, मिट गए मिटाने वाले
!
बाँट सका न कोई
, बँट गए खुद बाँटने वाले
!!
हर बार चोट से उभरा था
, हैं और रहेगा
!
ये हिन्द हैं मेरा
, यूँ ही मुस्कराता रहेगा
!!
दंश झेले कितने सीने में
, वीरो ने गौरव गाथा लिखी हैं
!
हम हारे नहीं दुश्मनो से
, बस कुछ जयचंदो ने नाक कटाई हैं
!!
हम एक थे
, हैं और रहेंगे
!
ये हिन्द हैं मेरा,
सब मिलकर आगे बढ़ेंगे
!!
कितनी कोशिशे तुम कर लो जगवालो
!
नींव की गहराई क्या तुम हमारी समझ पाओगे !!
साजिश कर लो कितने ही हमें बरगलाने की
!
कुव्वत अभी भी है सिकंदर को घुटने में लाने की
!!
ये तो
हमारे घर में ही थोड़ा वैचारिक मतभेद हैं , वर्ना मजाल क्या तुम्हारी ?
ये हिन्द
है मेरा , ध्यान रहे - शेर के मुहँ से भी निवाला
निकालने की आदत हैं पुरानी हमारी !!