थक गयी
ज़िन्दगी भी मुझे दर्द देते देते !
बोल ही
उठी आखिर एक दिन मुझसे !!
“तू चल
अब अपने रस्ते , मैं चलती हूँ अपने रस्ते !
परख लिया
तुझे बहुत अब , उकता गयी हूँ तुझे देखकर हर
बार हँसते”!!
मैंने
फिर मुस्कराते हुए जवाब दिया , “जब भी कभी गुमां हो जाये तुम्हे दर्द किसी को देते
देते !
मेरा दरवाजा
खुला हैं , तब भी मिलूंगा यू ही हँसते हँसते” !!
ज़िन्दगी
ने कहा , " खुश हूँ तेरी ज़िंदादिली देखकर , कुछ माँग ले अपने लिए "!
मैंने
कहा ," कुछ देना हैं तो एक काम करना ए - ज़िन्दगी , दर्द उसी को देना जो उसे संभाल
सके " !!
"कितनो
को तेरे दर्द के बोझ तले तड़पता देखा हैं !
माफ़ करना
तेरा नाम ही बदनाम होता हैं !!
दर्द देती
हैं तो मरहम भी देना , मुस्कराते चेहरों को तवज्जो देना !
एक ज़िन्दगी
मिली हैं सबको - ज्यादा से ज्यादा खुशियां और कम से कम गम देना”!!
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