बहुत परिवर्तन देखा हैं ,
चिट्ठियों के दौर से गुजरकर ईमेल को देखा हैं,
आँगन में होती गपशप को व्हाट्सप्प में होते देखा
हैं ,
टेलीग्राम की किटकिट से ट्विटर की उड़ती चिड़िया
को देखा हैं ,
लैंडलाइन फोन की ट्रिन ट्रिन से सबके हाथो में
स्मार्टफोन देखा हैं।
बहुत परिवर्तन देखा हैं ,
पिताजी को डैड और माताजी को मॉम होते देखा हैं
,
पैर छूने की परम्परा को हाथ मिलाने में परवर्तित
होते देखा हैं ,
छोटे छोटे बच्चों को गुल्ली डंडा से अब सोनी
प्ले स्टेशन पर गेम खेलते देखा हैं ,
साइकिल को तरसने वालो लोगो को महंगी गाड़ियों
में घूमते देखा हैं !
बहुत परिवर्तन देखा हैं ,
रिश्तों
में अपनापन से स्वार्थ को पनपते देखा हैं ,
बड़ो की इज्जत और छोटो को प्यार- मूड के हिसाब
से बदलते देखा हैं ,
संयुक्त परिवारों की ख़ुशी से एकल परिवारों को
दीवारों से बात करते देखा हैं,
निस्वार्थ दोस्ती से अब प्रोफेशनलिज्म दोस्ती
का चलन देखा हैं। ।
बहुत परिवर्तन देखा हैं ,
निश्वार्थ नेताओं से लेकर कुर्सी के लिए ईमान
बेच दे -ऐसे नेताओं को देखा हैं ,
पचास पचास रुपये में बिक जाये ऐसे वोटरों को
देखा हैं ,
जनकल्याण के पैसो को अपने लॉकर में ताला लगते
देखा हैं ,
गरीब जनता का अब सिस्टम से विश्वास उठते देखा
हैं।
बहुत परिवर्तन देखा हैं ,
हरे भरे जंगलों को कंक्रीट से ढकते देखा हैं
,
मुफ्त पानी को बोतल में बंद कर बिकते देखा हैं
,
सैर सपाटे से अब बंद कमरे में ट्रेडमिल पर लोगो
को दौड़ते देखा हैं ,
किसानो की खुशहाली से अब किसानों को आत्महत्या
करते देखा हैं।