Saturday, May 28, 2016

परिवर्तन


बहुत परिवर्तन  देखा हैं ,
चिट्ठियों के दौर से गुजरकर ईमेल को देखा हैं,
आँगन में होती गपशप को व्हाट्सप्प में होते देखा हैं ,
टेलीग्राम की किटकिट से ट्विटर की उड़ती चिड़िया को देखा हैं ,
लैंडलाइन फोन की ट्रिन ट्रिन से सबके हाथो में स्मार्टफोन देखा हैं।

बहुत परिवर्तन  देखा हैं ,
पिताजी को डैड और माताजी को मॉम होते देखा हैं ,
पैर छूने की परम्परा को हाथ मिलाने में परवर्तित होते देखा हैं ,
छोटे छोटे बच्चों को गुल्ली डंडा से अब सोनी प्ले स्टेशन पर गेम खेलते देखा हैं ,
साइकिल को तरसने वालो लोगो को महंगी गाड़ियों में घूमते देखा हैं !

बहुत परिवर्तन  देखा हैं ,
रिश्तों  में अपनापन से स्वार्थ को पनपते देखा हैं ,
बड़ो की इज्जत और छोटो को प्यार- मूड के हिसाब से बदलते देखा हैं ,
संयुक्त परिवारों की ख़ुशी से एकल परिवारों को दीवारों से बात करते देखा हैं,
निस्वार्थ दोस्ती से अब प्रोफेशनलिज्म दोस्ती का चलन देखा हैं। । 

बहुत परिवर्तन  देखा हैं ,
निश्वार्थ नेताओं से लेकर कुर्सी के लिए ईमान बेच दे -ऐसे नेताओं को देखा हैं ,
पचास पचास रुपये में बिक जाये ऐसे वोटरों को देखा हैं ,
जनकल्याण के पैसो को अपने लॉकर में ताला लगते देखा हैं ,
गरीब जनता का अब सिस्टम से विश्वास उठते देखा हैं। 

बहुत परिवर्तन  देखा हैं ,
हरे भरे जंगलों को कंक्रीट से ढकते देखा हैं ,
मुफ्त पानी को बोतल में बंद कर बिकते देखा हैं ,
सैर सपाटे से अब बंद कमरे में ट्रेडमिल पर लोगो को दौड़ते देखा हैं ,
किसानो की खुशहाली से अब किसानों को आत्महत्या करते देखा हैं। 



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