Wednesday, June 8, 2016

जंगल में सभा


जंगल में बड़ा हो-हल्ला था , शेर राजा ने आपातकालीन मीटिंग बुलाई थी !
इंसान के बढ़ते प्रभुत्व से  सबकी जान पर आफत आयी थी !!

सबके हाथो में शिकायतों के पुलिंदे थे , हर चेहरे पर निराशा थी !
राजा भी हताश सा था , जबरन चेहरे पर मुस्कान थी !! 

अपने अस्तित्व के लिए सबने एक सुर में इंसानो के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया !
सबने तालियाँ बजाई उस वक्त जब कुत्ते ने मार्मिक भाषण दिया !!

गाय ने अपना दुखड़ा रोया , इंसानो को जम कर कोसा !
हाथी ने अपने आशियानों को उजाड़ने का आरोप जड़ा !!

पक्षियों की अपनी शिकायतें थी , जलचरों की अपनी फ़रियाद  थी  !
इंसानो ने हवा, पानी , जंगल - सब पर अपनी मिल्कियत जमाई थी !!

न अब हवा स्वच्छ थी , पानी भी दूषित था !
जंगल सब कट चुके थे , हर जगह इंसानो का कब्ज़ा था !!

एक सुर में सबने इंसान पर दोषारोपण कर दिया !
जंगल के राजा ने भी मौका देख कर इंसान को नोटिस भेज दिया !!

इंसानो को अपना प्रतिनिधि भेजने को कहा गया !
हाजिर हो समय पर , साफ़ साफ़ लिखा गया !! 

नोटिस भेज भेज कर जंगल का कंप्यूटर क्रैश हो गया !
कोई प्रतिनिधि तो क्या इंसानो से नोटिस प्राप्ति की रसीद तक नहीं आया !!

जंगल में मीटिंग्स होती रही , नोटिस पर नोटिस जाते रहे !
इंसान बेफिक्री से अपने काम में लगे रहे !!

देख इंसानो की मूर्खता , जानवर भी शर्मा गए !
जिस थाली में खाता हैं , उसी में छेद करता हैं सोचते रह गए !!

अंत में सबने ये मान लिया - अपने को बुद्धिमान कहने वाला  इंसान सबसे निरा मूर्ख हैं !
अपनी करनी का फल भुगतेगा , हम तो बुद्धिहीन जानवर हैं- एक दिन उसका भी अस्तित्व मिट जायेगा।।  

No comments:

Post a Comment