कुर्सी की खातिर बिक गया सब दीन -ईमान !
सत्ता के लिए इकठ्ठा हो गए सब बेईमान !!
......................................................................................................
नाममात्र के रिश्ते रह गए , ख़त्म हो गया अपनापन !
बेटा पूछे बाप सा , कितना छोड़ जाओगो मेरे लिए
धन !!
......................................................................................................
हवा में जहर घुल गया , पानी हुआ दूभर !
धरती सारी बंजर हुई , अब कहाँ उपजे अन्न !!
.....................................................................................................
बेटी जब बहु बनी , माँ बनी सास !
घर में क्लेश मच गया , न बची कोई आस !!
.....................................................................................................
दिन में महिला शक्ति की बात , रात में उठाए बीवी
पर हाथ !
बेटी बचाओ के नारे लगाए , जन्मे दूसरे के घर
में -मन में ये बात !!
.....................................................................................................
बात बात में टूट रहे रिश्ते , खो रहा धैर्य और
विश्वास !
कोई झुकने को तैयार नहीं , सबका अपना अपना स्वार्थ
!!
....................................................................................................
दादी - नानी की कहानियाँ , अब हो गयी पुरानी
बात !
पोगो, हंगामा , डिज्नी अब दे रहे बच्चों का साथ
!!
....................................................................................................
बदल गयी हैं दुनिया , बदल गयी इसकी रीत !
घर के मुखिया सब बन गए , नहीं रही अब वो प्रीत
!!
....................................................................................................
बेटा कहे बाप से - आउटडेटेड हो गए हो आप , आपको
दुनिया की समझ नहीं !
बाप बोला बेटे से , चालीस साल पहले मेरे पिताजी
ने भी यही बात मुझसे कही !!
....................................................................................................
दोस्त अब ऑनलाइन मिलते हैं , घंटो बतियाते हैं
!
मुश्किल घड़ी आ जाये तो ऑफलाइन और अंरेचेबल हो
जाते हैं !!
.......................................................................................................
No comments:
Post a Comment