नादान है वो जो तुम्हे
हारा हुआ समझते है ,
उन्हें तुम्हारी कुव्वत
का शायद एहसास नहीं है ,
"हीरा" हो
तुम ,
जिसे समय का कोयला
तपा रहा है।
ढाल रही है कायनात
भी खुद को ,
तेरी मेहनत और हिम्मत
का इल्म उसे भी है ,
बदल रही है वो भी परिस्थितियां
,
उसको भी बेसब्री से
तेरी कामयाबी का इन्तजार है।
इल्तजा है बस इतनी
सी ,
हौंसले और विश्वास
को डिगने मत देना ,
आये कितने ही तूफ़ान
,
खुद पर और खुदाई पर
यकीन रखना।
"तपा " रहा
है जो समय तुझे ,
एक दिन वही यशगान का
साक्षी बनेगा ,
"चमक " तेरी
बिखरेगी चहुँओर ,
तू "हीरे
" सी चमक बिखेरेगा।
No comments:
Post a Comment