Tuesday, September 11, 2018

कुव्वत





नादान है वो जो तुम्हे हारा हुआ समझते है ,
उन्हें तुम्हारी कुव्वत का शायद एहसास नहीं है ,
"हीरा" हो तुम ,
जिसे समय का कोयला तपा रहा है। 

ढाल रही है कायनात भी खुद को ,
तेरी मेहनत और हिम्मत का इल्म उसे भी है ,  
बदल रही है वो भी परिस्थितियां ,
उसको भी बेसब्री से तेरी कामयाबी का इन्तजार है। 

इल्तजा है बस इतनी सी ,
हौंसले और विश्वास को डिगने मत देना ,
आये कितने ही तूफ़ान ,
खुद पर और खुदाई पर यकीन रखना।  

"तपा " रहा है जो समय तुझे ,
एक दिन वही यशगान का साक्षी बनेगा ,
"चमक " तेरी बिखरेगी चहुँओर ,
तू "हीरे " सी चमक बिखेरेगा। 



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