लिखने
के लिए ये दौर कठिन है ,
मन
की लिखूँ तो ,
मनगढंत
,
सच
लिखूँ ,
किसको
इसकी फिक्र है ,
लिखने
के लिए ये दौर कठिन है।
चाटुकारिता
करूँ ,
वाहवाही
है ,
विरोध
लिखूँ तो ,
तन्हाई
है ,
प्यार
लिखूँ तो ,
कहा
अब वो गहराई है ,
रिश्तो
में ,
कहा
अब वो सच्चाई है ,
लिखने
के लिए ये दौर कठिन है।
फलसफों
में कोई दम नहीं ,
पाखंडियो
ने दूकान सजाई है ,
मानवता
पर लिखने वालो ने ,
हालातो
की सजा पाई है ,
शब्द
भी अमर्यादित अब ,
वजूद
से खोने लगे है ,
पढ़ने
वाले भी अब ,
अपने
हिसाब से पढ़ने लगे है ,
बिकने
लगी है कलम ,
शब्द
भी छल करने लगे है ,
सच्चे
कलमकार ,
चुप
रहने लगे है ,
लिखने
के लिए ये दौर कठिन है।
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