Saturday, July 16, 2022

हवा का एक झोंका

आया हवा का एक झोंका ,

ज़िन्दगी किताब को झकझोर गया ,

एक एक पन्ना जैसे ,

खुदबखुद खुलने लगा।

 

किसी पन्ने में सिसकियाँ ,

किसी पन्ने से खुशियाँ झरने लगी ,

कही से बचपन झाँक रहा ,

कहीं लड़कपन ने अंगड़ाई ली।

 

कही दोस्ती की कसमे खाई ,

किसी कोने पर वो पहले प्यार की अंगड़ाई ,

कुछ फूल जो सूख चुके थे उसकी निशानी ,

किसी पन्ने पर  जुदाई।

 

मुड़ा हुआ वो पेज भी आया ,

जिस पर लिखी थी एक अधूरी कहानी ,

लौटकर आऊंगा कभी मुड़कर ,

सोचा था पूरी करूँगा वो कहानी।

 

साल दर साल वो लिखावट में अंतर ,

सपनो के पीछे हकीकत का वो अस्तर ,

कुछ पाने की खातिर कुछ छूटने का मंजर ,

                                                      उस हवा ने टटोल दिया मेरा मन मंतर।


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