ओहो , कैसे हो यार तुम ,
बिल्कुल बदल गए हो ,
कितने दुबले -पतले थे ,
अब तो जैसे कुप्पा हो गए हो ,
कितने घुँघराले हुए करते थे तुम्हारे बाल ,
अब तो बस अधपके से आधे हो गए है ,
क्या हुआ तुम्हारे चेहरे के तेज को ,
गालों के गड्डे भर से गए है ,
वो जोशो -जूनून कहाँ गायब हो गया ,
हर बात पर दुनिया बदलने की बात करने वाला ,
क्यों खोया -खोया सा है ?
औरों से सुनता रहता हूँ ,
तुम्हारी कामयाबियों के कहानियाँ ,
फक्र से कहता हूँ ,
कई बरस पहले ,हम सच्चे दोस्त थे।
अरे यार , बताओ तो सही ,
क्या -क्या किया इतने सालों में ,
सुना है खूब तरक्की कर लिए हो ,
लेकिन चेहरे पर वो सुकून क्यों नहीं है ,
लाइफ तो सेटल होगी यार तुम्हारी ,
सब कुछ तो अब तुम्हारे पास है ,
हमारा क्या है यार ,
वही हड्डी , वही खाल है ,
जिस लकीर को पकड़े थे ,
बस उसी पर अटके है ,
लोग असफलताों का टैग जरूर देते है ,
मगर हम जानते है ,
हम बड़े सुकून से हैं ,
तुम मंजिल की तलाश में थे ,
पा लिये और दुआ है - आगे बढ़ो ,
तुम्हे पता है हमारी फितरत की ,
सफर का पूरा लुफ्त लेकर ,
तुमने चाहा तो ,
मिलेंगे फिर हम कहीं न कहीं।