Friday, January 20, 2023

दो दोस्त

ओहो , कैसे हो यार तुम , 

बिल्कुल बदल गए हो , 

कितने दुबले -पतले थे , 

अब तो जैसे कुप्पा हो गए हो , 

कितने घुँघराले हुए करते थे तुम्हारे बाल , 

अब तो बस अधपके से आधे हो गए है , 

क्या हुआ तुम्हारे चेहरे के तेज को , 

गालों के गड्डे भर से गए है , 

वो जोशो -जूनून कहाँ गायब हो गया , 

हर बात पर दुनिया बदलने की बात करने वाला ,

क्यों खोया -खोया सा है ? 

औरों से सुनता रहता हूँ , 

तुम्हारी कामयाबियों के कहानियाँ , 

फक्र से कहता हूँ , 

कई बरस पहले ,हम सच्चे दोस्त थे।  


अरे यार , बताओ तो सही , 

क्या -क्या किया इतने सालों में , 

सुना है खूब तरक्की कर लिए हो , 

लेकिन चेहरे पर वो सुकून क्यों नहीं है , 

लाइफ तो सेटल होगी यार तुम्हारी , 

सब कुछ तो अब तुम्हारे पास है , 

हमारा क्या है यार , 

वही हड्डी , वही खाल है , 

जिस लकीर को पकड़े थे , 

बस उसी पर अटके है , 

लोग असफलताों का टैग जरूर देते है , 

मगर हम जानते है , 

हम बड़े सुकून से हैं , 

तुम मंजिल की तलाश में थे , 

पा लिये और दुआ है - आगे बढ़ो , 

तुम्हे पता है हमारी फितरत की , 

सफर का पूरा लुफ्त लेकर , 

तुमने चाहा तो ,

मिलेंगे फिर हम कहीं न कहीं।  

Sunday, January 1, 2023

संधान

 

कैसे मान लूँ अभी से हार , जब तरकश में कई तीर बाकी है।

अभी तो बस अभ्यास शुरू किया है ,संधान अभी बाकी हैं ।1। 

 

छल ले कितना ही दुनिया , मेरे हौंसलो में कोई कमी नहीं है। 

इन्तजार करूँगा अपनी बारी का , कोशिश मेरी जारी हैं।2।

 

कितना इम्तेहान लेगा वक्त भी , सब्र की मेरी भी इंताह नहीं है।

बदलने की तो फितरत है तेरी , मुझे भी कहाँ ,कोई जल्दी हैं।3।

 

बिछे होंगे मेरी राहों में काँटे , मुझे छालों की कहाँ परवाह है।

तपा रहा हूँ खुद को , इल्म है मुझे - असली संघर्ष अभी बाकी हैं।4।

 

ऐसा नहीं है कि हाथ पर हाथ रखकर बैठा हूँ , आत्म -निरीक्षण जारी है। 

हौंसले का धनुष , क्षमताओं का तरकश, विश्वास के तीर -तराश जारी हैं।5।

 

कश्मकश हर कदम पर , परिस्थितियों का बोझ भारी है। 

जीवन पथ बतलाता है , जीतने के लिए हारना भी जरुरी हैं।6।

 

लक्ष्य पता है - पहुँचने का भी अटल और अडिग इरादा है।

पीछे खींचे है कुछ कदम , लम्बी छलाँग के लिए ये भी जरुरी हैं।7।