Sunday, January 1, 2023

संधान

 

कैसे मान लूँ अभी से हार , जब तरकश में कई तीर बाकी है।

अभी तो बस अभ्यास शुरू किया है ,संधान अभी बाकी हैं ।1। 

 

छल ले कितना ही दुनिया , मेरे हौंसलो में कोई कमी नहीं है। 

इन्तजार करूँगा अपनी बारी का , कोशिश मेरी जारी हैं।2।

 

कितना इम्तेहान लेगा वक्त भी , सब्र की मेरी भी इंताह नहीं है।

बदलने की तो फितरत है तेरी , मुझे भी कहाँ ,कोई जल्दी हैं।3।

 

बिछे होंगे मेरी राहों में काँटे , मुझे छालों की कहाँ परवाह है।

तपा रहा हूँ खुद को , इल्म है मुझे - असली संघर्ष अभी बाकी हैं।4।

 

ऐसा नहीं है कि हाथ पर हाथ रखकर बैठा हूँ , आत्म -निरीक्षण जारी है। 

हौंसले का धनुष , क्षमताओं का तरकश, विश्वास के तीर -तराश जारी हैं।5।

 

कश्मकश हर कदम पर , परिस्थितियों का बोझ भारी है। 

जीवन पथ बतलाता है , जीतने के लिए हारना भी जरुरी हैं।6।

 

लक्ष्य पता है - पहुँचने का भी अटल और अडिग इरादा है।

पीछे खींचे है कुछ कदम , लम्बी छलाँग के लिए ये भी जरुरी हैं।7।

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