कैसे मान लूँ अभी से हार , जब तरकश में कई तीर बाकी है।
अभी तो बस अभ्यास शुरू किया है ,संधान अभी बाकी हैं ।1।
छल ले कितना ही दुनिया , मेरे हौंसलो में कोई कमी नहीं
है।
इन्तजार करूँगा अपनी बारी का , कोशिश मेरी जारी हैं।2।
कितना इम्तेहान लेगा वक्त भी , सब्र की मेरी भी इंताह
नहीं है।
बदलने की तो फितरत है तेरी , मुझे भी कहाँ ,कोई जल्दी
हैं।3।
बिछे होंगे मेरी राहों में काँटे , मुझे छालों की कहाँ
परवाह है।
तपा रहा हूँ खुद को , इल्म है मुझे - असली संघर्ष अभी
बाकी हैं।4।
ऐसा नहीं है कि हाथ पर हाथ रखकर बैठा हूँ , आत्म -निरीक्षण
जारी है।
हौंसले का धनुष , क्षमताओं का तरकश, विश्वास के तीर -तराश
जारी हैं।5।
कश्मकश हर कदम पर , परिस्थितियों का बोझ भारी है।
जीवन पथ बतलाता है , जीतने के लिए हारना भी जरुरी हैं।6।
लक्ष्य पता है - पहुँचने का भी अटल और अडिग इरादा है।
पीछे खींचे है कुछ कदम , लम्बी छलाँग के लिए ये भी जरुरी
हैं।7।
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