Wednesday, January 31, 2024

दुविधा

 

दुविधा बड़ी है ,

राहें ज़िन्दगी की ,

क्या छोड़ू,क्या समेटू ,

समेटू तो कुछ जरूर छूटे ,

छोड़ू कुछ तो बुरा लगे ,

समेटने - छोड़ने के क्रम में ,

दिमाग हमेशा उलझन में रहे ,

उधेड़बुन कदम दर कदम ,

न कुछ छूटे,न कुछ समेटे ,

गुजर रहा है कारवाँ ,

हम गुदड़ी कंधे में बोके,

चल रहे है हक्के -बक्के,

हर मंजर पर आँखे फाड़े ,

सुस्ताते कभी, कभी तेज भागे ,

किसी को टंगड़ी दे ,

आगे बढ़ते ,

पीछे से कोई टाँग खींचे ,

क्या चाहिए ,

कितना चाहिये ,

क्यों चाहिये ,

परवाह कहाँ है ,

बोझ काँधे का खुद बढ़ाते ,

हाँफते , लड़खड़ाते ,

खिसियानी सी मुस्कान फेरे ,

असमंजस्य में दो नन्हे कदम ,

कभी आगे बढ़े ,

कभी पीछे को खिसके ,

किंककर्तव्यविमूढ़ मस्तिष्क,

बस हार -जीत की सोचे,

दिल की कौन सुने अंधड़ में,

            वो इक पल सुकून को तरसे,

समय की चाल बराबर ,

परवाह कहाँ उसे ,

कौन आगे बढ़ा ,

           और कौन पीछे छूटे।    

Thursday, January 11, 2024

मेरे राम

 

राम खास है , राम विशेष है ,

राम मनुष्य जगत में सर्वश्रेष्ठ है ,

राम पूजने के लिए नहीं है ,

राम अनुसरण के योग्य है ,

राम मनुष्यता के उदाहरण है ,

राम मनुजता की धरोहर है ,

राम राजा के रूप में अतुलनीय है ,

राम पुत्र रूप के मानक है ,

राम धैर्य और संयम की खान है ,

राम भ्रात प्रेम के रूपक है ,

राम दीन -दुखियों के मित्र है ,

राम दुष्टों के संहारक है ,

राम सबरी के प्रेम में भूखे है ,

राम अहिल्या उद्धारक है ,

राम रघुकुल तिलक है ,

राम सिया संग बीजक है ,

राम हनुमान के प्रिय है ,

राम धर्म के संरक्षक है ,

राम दया है , राम निधान है ,

राम नाम ही सम्पूर्ण है ,

राम खास है , राम विशेष है ,

राम मनुष्य जगत में सर्वश्रेष्ठ है। 





Friday, January 5, 2024

श्रीराम

 

 


बड़भागी भये हम सब जन ,

देख पायेंगे वो दृश्य महान ,

रामलला  विराजेंगे सिंहासन ,

हर तरफ हो मंगलगान। 

 

ख़त्म हुआ दूसरा वनवास ,

आयेंगे फिर रघुकुल निधान ,

कण -कण रोमांचित अयोध्या का ,

राम नाम ही सत्य अहान। 

 

राम सर्वथा , राम सर्वदा ,

राम संयम , राम मर्यादा ,

राम सबके , राम मेरे ,

राम नाम जगत में सदा।

 

युग बदला , समय बदला ,

बदला नहीं बस राम का नाम ,

हर्षित हर तन -मन आज ,

बसो हर ह्रदय हे ! करुणानिधान।