चालीस पार अब नया बीस है ,
हड्डियाँ पुरानी मगर वही तीस है ,
अनुभव के साथ सीख नई है ,
अधपके बालों में ऐंठ वही है।
जज्बातों का अब सलीका नया है ,
जोश के साथ समझदारी नई है ,
जेबें खाली नहीं रहती अब,
शौकों के लिये कोई कमी नहीं है।
भावनाएँ अब ज्यादा नहीं भड़काती है ,
व्यावहारिकता का पाठ नया -नया है ,
भविष्य की कोरी कल्पना व्यर्थ है ,
जो है , जैसा है ,जहाँ है - वही सही है।
तमाशेबाज़ी खूब देख ली ,
जिम्मेदारियाँ भी खूब निभा ली ,
जीवन अब तक समझ आ गया है,
समझदारी की ये कहानी नई -नई है।
डर -शर्म का अब बोझ नहीं है ,
सबके कर्मों की किताब खुली पड़ी है ,
फर्क नहीं पड़ता अब "क्या कहेंगे लोग "
लोगों की यहाँ खुद लगी पड़ी है।
न चिंता अब कैरियर बनाने की ,
न पढ़ाई -लिखाई का बोझ है ,
जो होना था , वो सब हो चूका है ,
ये मनमर्जियां अब नई -नई है।
चालीस पार अब नया बीस है ,
हड्डियाँ पुरानी मगर वही तीस है ,
अनुभव के साथ सीख नई है ,
अधपके बालों में ऐंठ वही है।