Friday, May 3, 2024

आम आदमी

 

वैसे तो आम आदमी ,

आम जैसा ही है ,

आम के आम है ,

और गुठली के भी दाम है ,

लेकिन आम आदमी बहुत परेशान है ,

उलझा हुआ असमंजस्य में है ,

खास होने की तरकीबे खोजता ,

आम होने से खीजता है ,

रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में ऐसा उलझा है ,

सुबह का जोश शाम तक औंधे मुँह गिरता है ,

नैतिकता , सच्चाई , ईमानदारी -सब पाठ रटता ,

कुछ अतिरिक्त के लिये हरदम सोचता है ,

करना बहुत कुछ चाहता है , जुझारू है ,

निम्न और उच्च के बीच पिसा हुआ नजर आता है ,

इज्ज़त बहुत प्यारी है , यही शायद इक बपौती है ,

आम आदमी का खुद से ख़ुदी का संघर्ष है ,

हर कोई उसे बरगलाता है ,

इक अदद नौकरी उसका सहारा ,

घर और ऑफिस सँभालने में जीवन गुजर जाता है ,

एक टीस  उसे रोज सालते रहती है ,

जब कोई ताना मारे -"ज़िन्दगी में किया क्या है ?"

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