Sunday, November 17, 2024

सारांश

 

सारांश


क्या सफलता,क्या असफलता ,

जीवन रोज़ इक नई समर कथा,

नायक भी हम , खलनायक भी ,

बस इतनी सी है जीवन व्यथा।

 

अ-अबोधता से शुरू ,

ज्ञ -ज्ञानी पर ख़त्म ,

ज्ञान कौन सा ?

सबका जुदा-जुदा।

 

दौड़ मंजिल की तरफ ,

कोई पहुँचा , कोई भटका ,

अंत में सब "सिफ़र " ,

बस "सफ़र" नाम रहा।

 

कभी जीत , कभी हार ,

सुःख दुःख का क्रम चलता रहा ,

जीने का "अनुभव " ,

न खरीदा गया , न बेचा गया।

 

क्या सफलता,क्या असफलता ,

जीवन रोज़ इक नई समर कथा,

नायक भी हम , खलनायक भी ,

बस इतनी सी है जीवन व्यथा।

Tuesday, November 12, 2024

तूणीर के तीर

 

विकल्प तलाशते रहिये , 

तूणीर के तीर आजमाते रहिये , 

बड़ी तेजी से बदल रही दुनिया , 

जूतों के फीते कसे रखिये। १। 


उसूल ,वसूली न बन जाये , 

वक्त के साथ चलिये , 

फ़ायदे का धंधा है हुजूर , 

भरोसा सिर्फ खुद पर रखिये।२।   


चकाचौध बहुत बड़ा छलावा है, 

हकीकत पर नजर रखिये , 

क्षमतायें भी एक चीज होती है "आनन्द ", 

चढ़ाने से किसी के झाड़ पर मत चढ़िये।३।


ज़िन्दगी इक बार मिली है गुरु , 

न कोई पिछला जन्म था , न कोई अगला है , 

कहने दीजिये -कहने वालों को ,

जब भी मौका मिले , भरपूर जी लीजिये।४।


न किसी से गिला रखिये , न शिकवा कीजिये , 

जलने वालों को बत्तीसी से चमकाते रहिये , 

सबकी ज़िन्दगी में स्यापे भरे पड़े है , 

अपना बी पी नियंत्रण में रखिये ।५।    

Friday, November 8, 2024

उद्देख


 


घर के आँगन में बैठी वो बूढ़ी अम्मा ,

एक नजर घर पर , एक आँगन पर ,

धुँधली आँखों से निहार रही ,

दो बूँदे आँखों की झुर्रियों से रिसाती हुई ,

अतीत और वर्तमान के बीच में झूलती सी ,

अचानक से ठिठक सी गयी ,

जब उसने दिखा ,

एक टूटा हुआ आँगन में बिछा पत्थर ,

बुढ़ाते गले से रुँधाती सी आवाज में ,

अपने पोते को पुकारा ,

पोता आवाज सुनकर दौड़ा ,

अम्मा के पास पहुँचा ,

अम्मा ने उससे जरा लाल मिटटी और गोबर मँगवाया ,

करीने से लीप दिया वो टूटा पत्थर ,

जैसे उसने भर दिया ,

अपनी उदासी और उद्देख के सब  कारण।

 

कुमाउनी शब्द

उद्देख - निराशा और हताशा