सारांश
क्या सफलता,क्या असफलता ,
जीवन रोज़ इक नई समर कथा,
नायक भी हम , खलनायक भी ,
बस इतनी सी है जीवन व्यथा।
अ-अबोधता से शुरू ,
ज्ञ -ज्ञानी पर ख़त्म ,
ज्ञान कौन सा ?
सबका जुदा-जुदा।
दौड़ मंजिल की तरफ ,
कोई पहुँचा , कोई भटका ,
अंत में सब "सिफ़र " ,
बस "सफ़र" नाम रहा।
कभी जीत , कभी हार ,
सुःख दुःख का क्रम चलता रहा ,
जीने का "अनुभव " ,
न खरीदा गया , न बेचा गया।
क्या सफलता,क्या असफलता ,
जीवन रोज़ इक नई समर कथा,
नायक भी हम , खलनायक भी ,
बस इतनी सी है जीवन व्यथा।