वक़्त आ गया हैं जब हम बदलेंगे तब ये सूरत ऐ हाल बदलेगी ,
हर क्रांति की ज्वाला हमसे ही पहले निकलेगी !
बदलना हैं हमें सब कुछ अब हमने ठान ली हैं,
यूं घिसट घिसट कर जीने से ज़िन्दगी नहीं जीनी !
अब हालातो का बहाना छोड़ कर, मशाल खुद ही जलानी हैं,
सोये हुए लोगो को जगाने की बारी हमारी हैं !
डट जाना हैं अब अंगद की तरह, रावनो को नीचा दिखाना हैं,
हम युवाओ को ही अब आगे आना हैं, परिवर्तन जरूरी हैं .
खेल लिए खेल उन्होंने जितने खेलने हैं, अब क्रांति की जरुरत हैं,
देश और समाज बचने के लिए अब कुर्बानी जरुरी हैं.
आओ की अब साथ जरुरी हैं, मिल कर हुंकार करेंगे ,
अन्धकार के घुप्प अँधेरे में दीये से शमा रोशन करेंगे.
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