कभी हालात ऐसे हो जाते हैं,
शब्द भी बयान करने के लिए छोटे हो जाते हैं,
दिमाग भी कुछ सोचने के लिए मना कर देता हैं,
दुनिया भी कुछ परायी सी लगने लगती हैं,
सब कुछ उलझा उलझा सा,
ज़िन्दगी अपनी होकर भी अपनी नहीं लगने लगती हैं.
तब कुछ इस तरह से दिल से आवाज़ आती हैं,
ऐ खुदा, क्यूँ मेरे साथ ये सब हो रहा हैं,
खुदा जवाब देता हैं - सब्र कर,
तेरे जो अच्छे दिन आने वाले हैं,
उसकी अहमियत को समझाने को कुछ दिन ऐसे भी बिताने पड़ेगे,
समय हमेशा एक सा नहीं रहता,
बस उसी को समझाने के लिए ये वक़्त भी जरुरी हैं.
No comments:
Post a Comment