Friday, August 20, 2010

चौथा पड़ाव......समय सबसे बलवान

समय का चक्र अपनी गति से घूमता जाता हैं,
कभी सुख , कभी दुःख हर एक को दे जाता हैं.


हर ख़ुशी में ये बात याद रखो, ये पल भी बीत जायेगा !
समय का चक्र हैं, कभी भी पल बदल जायेगा.


दुःख के दिन जरा लम्बे लगते हैं ! घाव जरा धीरे सूखते हैं.
सुख के दिन जरा जल्दी बीतते हैं ! ज़िन्दगी के ये दो पहलू चलते रहते हैं.


समय अपनी गति से चलता रहता हैं !
न वो किसी के लिए रुकता हैं और न अपनी चाल मंद करता हैं.


उसको लिए सब बराबर हैं जगत में, वो किसी के लिए कोई फर्क नहीं करता हैं !
किसी को घाव , तो किसी को मरहम देकर रेत की तरह हर एक की मुट्ठी से फिसलता हैं.

3 comments:

  1. समय अपनी गति से चलता रहता हैं !
    न वो किसी के लिए रुकता हैं और न अपनी चाल मंद करता हैं.
    ...samay ko aage se pakadna padhta hai wah peeche se ganja hota hai..
    Bilku sahi kaha aapne samay se badhkar balwan aur kaun ho sakta hai..
    samay kee mahta par likhi rachna bahut achhi lagi..

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  2. दूरदर्शन की पुरानी सीरिअल याद आ गयी. जिसमे उल्लेख होता है "मैं समय हूँ "

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  3. यही तो कालचक्र का चक्कर है आनंद जी.

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