अप्रैल का महिना हर नौकरीशुदा आदमी के लिए खास होता हैं,
साल भर की उसकी मेहनत का इनाम उसे मिलता हैं,
इसी आस में वो ग्यारह महीने काट देता हैं,
अप्रैल आएगा तो नयी खुशियों की सौगात लायेगा.
कितने सब्जबाग वो जनवरी से देखने शुरू कर देता हैं,
कल्पना में बड़े हुए पैसो का हिसाब किताब लगाना शुरू कर देता हैं,
अप्रैल हर साल आता हैं और चला जाता हैं,
देकर उसे कुछ मूंगफली के दाने, बादाम की आस अपने साथ ले जाता हैं.
उसके सपनो में फिर तुषारापात होता हैं,
" और बढ़िया काम करो " बॉस की ये बात सुन सुनकर ,
अपनी ज़िन्दगी के तमाम साल यूँ ही गुजार देता हैं.
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