एक दिन खाली हाथ रोते हुए हम धरती पर आये थे,
न कुछ होश था , न कुछ सोचने समझने की ताकत.
समय का कारवां चलता रहा ........
हम बचपन से जवानी की दहलीज तक पहुच गए,
अपने साथ कितने को मिला लिया,
और फिर हमारा कारवां बनता चला गया ,
हम मंजिल दर मंजिल बड़ते चले गए,
कुछ नए साथी मिलते रहे और कुछ पुरानो का रास्ता अलग हो गया ,
हमें चलना ही हैं , जडवत नहीं हो सकते.
ज़िन्दगी के इस सफ़र में हम बड़ते ही रहेंगे .
कुछ हमने सीखा , कुछ को हमने सिखाया ,
और कारवां यूँ ही गुजरता रहा....
मगर अब भी सफ़र जारी हैं,
बहुत मंजिले अभी और छूनी हैं,
क्यूंकि जब तक हैं ये सफ़र यूँ ही चलता रहेगा,
कुछ खट्टे कुछ मीट्ठे अनुभवों के गलियारों से गुजरता रहेगा,
आज हमने इस कारवां की मशाल थामी हैं,
कल और कोई आएगा ,
क्यूंकि ये कारवां रुक नहीं सकता ,
ये कारवां जारी हैं और यूँ ही जारी रहेगा....................