क्या शिकायत करू खुदा से ......उसने तो सब कुछ दिया ,
इंसान बना कर उसने सबसे पहले मुझ पर एहसान किया,
दो हाथ , दो कान , दो पैर , दो आँखे सब कुछ तो सलामत दिया,
फिर ऊपर से एक सोचने वाला दिमाग देकर मुझे संपूर्ण तो बनाया,
इन चीजों की एहमियत क्या हैं ज़िन्दगी में ,
जरा इनमे से किसी को हटा के सोचो अपनी ज़िन्दगी में ,
फिर अब मैं खुदा से और क्या मांगू,
करने के लिए उसने मुझे इतना बड़ा जहाँ तो दिया ,
अब कुछ नहीं कर पाता हूँ तो उसमे उसका क्या कसूर ,
अपना ही शायद रास्तो से भटका होऊंगा,
उसके ऊपर , फिर भी गाहे बगाहे कभी परेशान होता हूँ,
तो वो परेशानियों से निकाल ही देता हैं ,
हर रोज़ वो मुझे एक नया दिन देता हैं,
कुछ करने के लिए, अब मैं उसे व्यर्थ गवां देता हूँ तो उसमे उसका क्या,
उसकी बनायीं दुनिया को कुछ सुधार सकूं , मुझे इसके लिए फुर्सत कहाँ,
बदले में मैं क्या करता हूँ,
कभी कभार नाम जप लेता हूँ, जरा ज्यादा हुआ तो मंदिर हो आता हूँ.
अब और क्या मांगू खुदा से .... उसने तो सब कुछ दिया....
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