हम कौन हैं ?.....................
एक अनजान सफ़र जिसे हम ज़िन्दगी कहते हैं ,
पर चलने वाले मुसाफिर ...........
कहाँ मंजिल और कहाँ पड़ाव ,
सब बातो से अनजान ,
समय की लहरें कुछ हमारे हिसाब से चलती ,
और कुछ हमें चलाती हुई,
बढ रहा हैं हमारा ये सफ़र.
हम अपनी गठरी में बांधे ,
कुछ अच्छे और कुछ खट्टे पल,
बड़ते चलते कभी सीधे , कभी लड़खड़ाते,
कभी हंसते , कभी रोते
कभी फक्र करते , कभी कोसते ...
सोचिये ...... ये अनजान सफ़र बड़ा हसीन हैं,
धीरे धीरे पार होता चला जाता हैं ,
लाख रोके इसे कहीं पर,
मगर ये ठहरता नहीं हैं बस आगे बढता चला जाता हैं ............................
क्यूंकि पड़ाव तो सिर्फ अल्प विराम हैं इसके लिए,
विराम चिन्ह से पहले तो बहुत लम्बा सफ़र तय करना हैं.
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