कारवां जारी हैं ..................
निकल पड़ा हूँ लेखन यात्रा में , लिए शब्दों का पिटारा ! भावनाओ की स्याही हैं , कलम ही मेरा सहारा !!
Sunday, May 13, 2012
मशाल
ताकते रहेंगे एक दुसरे को हम ,
की वो पहल करेगा तो हम भी साथ हो लेंगे,
कब तक मशाल जलने का हम इन्तेजार करते रहेंगे,
जलाएंगे एक एक माचिस की तीली भी खुद से हम ,
रोशनी तो खुदबखुद हो जाएगी.
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