कुछ सालो बाद बेटे का माँ को फ़ोन आया,
" माँ, राहुल को विदेश में नौकरी मिल गयी हैं ,
अगले महीने वो चला जायेगा ,
कहता हैं , मौका मिलेगा तो यहाँ आऊंगा ,
वर्ना वही सेटेल हो जाऊंगा.
अब हम क्या करे? एक ही तो बेटा हैं,
वो भी दूर चला जायेगा ,
तो हम कैसे रहेंगे ? "
माँ बड़ी शांति से बोली ,
" कोई बात नहीं बेटा, उसको जाने दे.
तू ऐसा कर, अब हमारे पास आ जा.
हमें भी सहारा हो जायेगा ,
तेरे पापा को अब कम दिखता हैं,
तू उनकी आँखे बन जायेगा ,
मैं भी अब बहुत बूड़ी हो गयी हूँ ,
बहु के साथ मेरा टाइम भी कट जायेगा.
रही तेरे बेटे की बात,
धीरज रख ! वो भी एक दिन लौट के आएगा. "
बेटे को माँ की बातो से बड़ी तसल्ली हुई,
सोचा , " माँ, सही तो कह रही हैं,
जिस मकसद से शहर आया था,
पूरा तो हो गया था,
बच्चो को लिए सब कुछ तो कर लिया ,
अब जरा माँ -बाप की सेवा की जाये ,
क्या पता ? इसी तरह राहुल भी एक दिन वापस आ जाये. "
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