माँ आज भी कहती हैं ,
" पैसे के पीछे ही मत भाग, अपनी सेहत का ख्याल पहले रख,
नहीं चाहिए तेरे पैसे जो तू अपनी सेहत बिगाड़ कर कमाए,
जितने मिले उतने से ही काम चला ,
अगर मन नहीं लग रहा तो घर आ जा .
मेरी आँखों के सामने रहेगा और मुझे कुछ नहीं चाहिए
माना की तू दुनिया की नजर में बड़ा आदमी हैं
मगर मेरे लिए तो तू आज भी बच्चा हैं
जो हर बात पर मम्मी मम्मी करता हैं "
नमन हैं हर माँ को जिसका कलेजा हर वक़्त अपने बच्चो के लिए धडकता हैं।
वो धरती पर इश्वर का रूप हैं , खुदा तो हर वक्त साथ नहीं रह सकता ,
मगर हर माँ को अपने रूप में भेजता हैं .
माँ के गुणगान करने के लिए शब्द नहीं मिलते ,
वर्ना मैं सबसे लम्बी किताब लिख लेता ,
" माँ " शब्द ही इतना व्यापक हैं ,
कहाँ से शुरू करे और कहाँ ख़त्म - समझ नहीं आता।