जलते दीये को देखकर हर बार ख्याल आता हैं ,
क्यूँ ये दीया अपने आप को जलाता हैं ,
फिर दिमाग झकझोरता हैं ,
अगर दीया अपने आप को जलाएगा नहीं तो ,
अंधेरे से मुकाबला कैसे करेगा ,
वो तो जन्मा ही इसी लिए हैं ,
उसको उस जलन में भी इस बात का संतोष रहता होगा,
की वो जिस काम के लिए जन्मा हैं उसको कितने अच्छे तरीके से कर रहा है,
अपने को जला कर दुसरो को रौशनी दिखाता हैं,
चलो इस दिवाली हम भी इससे कुछ सीखते हैं ,
किसी को अपने प्रकाश से हम भी रोशन करते हैं ,
किसी की चेहरे पर ख़ुशी आये , कुछ काम करते हैं
हर रोज़ अपने लिए जीते हैं , कुछ पल दुसरो के लिए भी जीते हैं
खुशियों में तो शरीक होते ही है , किसी के गम को साझा करते हैं
चलो , इस दिवाली कुछ तो नया करते हैं।
बहुत बढ़िया सकारात्मक प्रस्तुति ...दीपवाली की हार्दिक शुभकामनायें
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