Wednesday, July 17, 2013

कलम और शब्दों की जंग

आजकल चीजो और हालातो को देख परख रहा हूँ 
की किसी विषय पर कुछ पंक्तिया लिखू , 
विषयो का भटकाव  इतना ज्यादा हो गया हैं शायद , 
या मै ही एक विषय चुनने में असमर्थ हो रहा हूँ,
जिधर नजर दौड़ाता हूँ , विषय बहुत मिल जाते हैं , 
दो चार शब्दों को पिरोने का प्रयास भी करता हूँ , 
मगर चंद पंक्तियों के बाद दिमाग बोझिल सा हो जाता हैं , 
सोचता हैं हजारो पंक्तियों के विषय को तू , क्यूँ कुछ पंक्तियों में कैद करना चाहता हैं , 
बस असमंजस और कशमकश जारी हैं , 
मेरे और विषयो के बीच , 
यकीन हैं किसी न किसी दिन फिर से लेकर बैठूँगा , 
अपने दिमाग और कलम के बीच की जंग को , 
मै ही शांत करूँगा ............और तब शायद कुछ सार्थक लिखूंगा , 
अपने दिमाग और विषयो की अभिव्यक्ति को अपने शब्दों का जामा पहनाऊंगा ......

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