Thursday, September 26, 2013

शिखर...........

शिखर को देख कर हमें भी उसके जैसा होने की लालसा होती हैं ,
उसकी उच्चाई हमें उसके बहुत बढे होने का एहसास कराती हैं ,
हम भी झटपट उस शिखर के बराबार होने चाहते हैं ,
मगर , उस शिखर को शिखर बनने की उसकी कवायद को हम भूल जाते हैं ,

कैसे उसने अपना सफ़र तय किया होगा ,
कितने थपेड़ो  को उसने झेला होगा,
हर मौसम की मार उसने सही होगी ,
कितनी जानी अनजानी रूकावटो से वह लड़ा होगा,

कितने अवरोधों से लड़कर वह आगे बढता रहा होगा ,
ना जाने क्या क्या सहकर वह आज इस मुकाम पर पहुंचा होगा ,
अपने न हारने के जज्बे को उसने कितनी बार समेटा होगा ,
अपने कितने अपनों को उसने इस यात्रा में छोड़ा होगा ,

हमें भी उसके जैसा बनना हैं तो बहुत कुछ छोड़ना होगा ,
लक्ष्य एक बनाकर उसके पीछे भागना होगा ,
रास्ते के ठोकरों को फूल समझकर  पार पाना होगा ,
अपनी हिम्मत और जिद्द को अपना हथियार बनाना होगा .

माना की कठिन हैं राह - मगर हौंसला  तो दिखाना होगा ,
कदम एक तो उठाना होगा ,
खोने के लिए तो कुछ नहीं हमारे पास , जो मिलेगा वो तो पाना ही होगा ,
गर जिगर में आग लग जाए तो फिर उसे बुझाना तो होगा . 

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