Saturday, August 17, 2013

मेरा देश , मेरा गर्व

क्यों न गर्व करू मैं  अपने देश पर ,
मेरा देश मेरा गौरव हैं ,
इसकी मिटटी से ही तो बना हूँ मैं ,
इसी धरती पर तो रहता हूँ मैं ,
इसकी हवा से सांसे चलती हैं मेरी ,
इसी की मिटटी से उपजा अन्न खाता हूँ मैं ,

माना की समस्याये बहुत हैं मगर ,
इसी की आजाद धरती पर बेपरवाह घूमता हूँ मैं,
ये बुरा हैं , ये अच्छा हैं कहने की ताकत तो रखता हूँ मैं ,
कभी अपनी सरकार को , कभी अपने सिस्टम को ,
कोसने का अधिकार तो रखता हूँ मैं ,

जो हैं  , जैसा चल रहा हैं उसका सीधा भागीदार हूँ मैं,
सरकार भी चुनता हूँ मैं ,
सिस्टम भी बनाता बिगाड़ता हूँ मैं ,
अपने हित के लिए प्रक्रति से खिलवाड़ भी करता हूँ मैं ,
अन्याय का विरोध भी पुरजोर आवाज से नहीं करता मैं ,

फिर मैं देश पर गर्व क्यों न करू ,
इतना कुछ होने के बाद इसी की आगोश में बेफिक्री की नींद सोता हूँ मैं ,
इसी की रोटी , इसी का पानी , इसी की हवा  में जीता हूँ मैं ,
फिर देश को बुरा क्यों कहूँ मैं ,
गर्व करने के हजारो कारण हैं मेरे पास ,
न करने के कुछ गिने चुने ,
मेरा देश तो सबसे महान हैं ,
सारी दुनिया का ताज हैं .........

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