Friday, May 29, 2015

ज़िन्दगी से मुलाकात ।

आज ज़िन्दगी को हमने झटका दे ही दिया ! पूछा जब उसने ," कैसे हो?" !!
हमने मुहं फाड़ फाड़ कर हँसना शुरू कर दिया ! वो चकित थी हमारी हँसी देखकर !!

हमने भी बोल दिया, " आपके कुछ गमो पर हमारी हँसी भारी हैं " ! 
"आपने सोचा कुछ गम दे कर इसे तोड़ती हूँ ! हम भी ज़िद्द के पक्के निकले , गम में भी हँसने की कला सीख ली "!!

ज़िन्दगी कुछ सकपका सी गयी और बोली , " इतना गूढ़ मंत्र तुम कैसे सीख गए ? " !
अब उत्तर देने की बारी हमारी थी ," पहले तुम्हारी हर छोटी सी बात पर रोते थे " !!

" ये नहीं किया , वो नहीं मिला से दुखी रहते थे ! फिर एक दिन समझ आया की तुम तो कुछ देती हो , कुछ लेती हो "
"अपनी धून में अविरल बहती हो ! तुम्हारा क्या दोष हैं इसमें " !!
" मेरी करनी ही होती हैं जिसमे मैं कभी हँसता हूँ और कभी रोता हूँ "
"बेफिजूल तुम्हे कोस कर क्यों अपना आज भी बर्बाद करूँ "

ज़िन्दगी मुस्करा कर रह गयी और बोली , " जब तुम समझ गए हो मर्म तो , औरो को भी बताओ " !
" मुझे दोष देने से पहले खुद के गिरेबान में झांको , अपनी करनी के परिणाम को ख़ुशी ख़ुशी सहो "!!

तब से हर पल खुश रहता हूँ , कुछ भी हो जाता हैं तो खुद को जिम्मेदार समझकर आगे बढ़ता हूँ !

ज़िन्दगी हर पल मुस्करा कर देखते रहती हैं और मैं  खुल कर हँसता हूँ !!

Thursday, May 21, 2015

प्राइवेट नौकरी

बड़ी गजब हैं ये प्राइवेट नौकरी ! न सोने देती हैं , न जीने देती हैं !!
टारगेट का डर हर समय लगा रहता हैं ! न हँसने देती हैं , न खुल के रोने देती हैं !!

घर में बहू को एक सास से जैसे डर होता हैं !  प्राइवेट नौकरी वालो की ऑफिस में सासो की फ़ौज रहती हैं !!
HR वाला हरदम हड़काता रहता हैं ! खुद का बॉस जैसे हमें गालियाँ देने ही ऑफिस आता हैं !!

accounts के पास कोई बिल लेके जाओ तो वो घूरता हैं ! Peon से चाय मँगाओ तो "कितनी चाय पीते हो साहब " कह के चला जाता हैं !!
जूनियर रोज़ छुट्ठी के लिए आवेदन करते हैं ! हमारी छुट्ठी की application को बॉस रद्दी के टोकरे में डाल देता हैं !!

इन्क्रीमेंट के समय हिसाब किताब पूछा जाता हैं ! टारगेट पूरे क्यों नहीं हुए ? का बारह पन्नो का explanation देना पड़ता हैं !!
बीवी बच्चे भी अब ये कहते हैं ! रात में सपने में भी " जी सर " की रट क्यों लगाते हो !!

Thursday, May 14, 2015

ज़िन्दगी की सीख .......



"न वो रहा , न ये रहेगा ! जीवन यूँ ही अनवरत चलता रहेगा !!

न कर गुमां कभी भी अपने पर ! वक्त का पलड़ा कभी भी एक तरफ नहीं रहेगा !!

उदासी का माहौल अभी  हैं तो क्या हुआ ? उजाले का आगमन भी जल्दी होगा !!

जीवन की सबसे बड़ी सीख यही हैं ! हर पल  बदलता रहेगा !!

तू खुश किस्मत हैं की समय अभी तेरे साथ हैं ! मगर हरदम याद रख - कल ये किसी और का था और कल किसी और का होगा !!

कोई नहीं रहा यहाँ - न राम रहे,  न रावण रहा ! अपने कर्मो से ही तेरा बस नाम रहेगा !!

हर हाल में खुश रह ! क्यूंकि ये वक्त  किसी के लिए कभी नहीं थमेगा !! " 

Wednesday, May 13, 2015

बड़ा डर लगता हैं....

कंक्रीट के इस जंगल में जिसे शहर कहते हैं ! बड़ा डर लगता हैं !!
अपनी दहलीज के परे कौन रहता हैं ! पता नहीं चलता हैं !!

अपनी ही कॉलोनी में कोई ! अपनी जान पहचान का नहीं मिलता हैं !!
तिरछी निगाहो से देखता हैं हर कोई यहाँ ! अपनी सीढ़ियाँ चढ़ते ही डर लगता हैं !!

कहते तो हैं सब यहाँ की  पढ़े लिखे और समझदार लोग रहते हैं ! मगर रोज़ छोटी छोटी बात पर लड़ते देखा हैं !!
पड़ोसियों को घर से दूर पार्क में बतियाते देखा हैं ! कंक्रीट की इन दीवारो के पीछे ज़िन्दगी को तड़पते देखा हैं !!

जरूरतमंद के लिए दरवाजा पटकते देखा हैं ! अदखाये पिज़्ज़ा बर्गर को कूड़े के ढेर में पाया हैं !!
भाषण देने के लिए बड़े बड़े मंच बिछते हैं ! अपनी कॉलोनी के पार्क के लिए कुछ करने की सुध किसी को नहीं हैं !!

अभिभावकों को कहते सुना हैं ! उस बच्चे के साथ नहीं खेलना हैं !!
खोखली हँसी हँसते लोगो को देखा हैं ! अपनी जुबान से झट पलटते देखा हैं !!

इस आदमी से मुझे क्या फायदा हो सकता हैं ! नफे नुकसान से तौलते हुए दोस्ती होते देखा हैं !!
दुःख दर्द साझा करने की तो बहुत दूर की बात हैं ! ख़ुशी में भी किराये की भीड़ को इकठ्ठा हुए देखा हैं !!

कंक्रीट के इस जंगल में जिसे शहर कहते हैं ! बड़ा डर लगता हैं !!

अपनी दहलीज के परे कौन रहता हैं ! पता नहीं चलता हैं !!