आज ज़िन्दगी को हमने झटका दे ही दिया ! पूछा जब उसने ," कैसे हो?" !!
हमने मुहं फाड़ फाड़ कर हँसना शुरू कर दिया ! वो चकित थी हमारी हँसी देखकर !!
हमने भी बोल दिया, " आपके कुछ गमो पर हमारी हँसी भारी हैं " !
"आपने सोचा कुछ गम दे कर इसे तोड़ती हूँ ! हम भी ज़िद्द के पक्के निकले , गम में भी हँसने की कला सीख ली "!!
ज़िन्दगी कुछ सकपका सी गयी और बोली , " इतना गूढ़ मंत्र तुम कैसे सीख गए ? " !
अब उत्तर देने की बारी हमारी थी ," पहले तुम्हारी हर छोटी सी बात पर रोते थे " !!
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ये नहीं किया , वो नहीं मिला से दुखी रहते थे ! फिर एक दिन समझ आया की तुम तो न कुछ देती हो , न कुछ लेती हो "
"अपनी धून में अविरल बहती हो ! तुम्हारा क्या दोष हैं इसमें " !!
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मेरी करनी ही होती हैं जिसमे मैं कभी हँसता हूँ और कभी रोता हूँ "
"बेफिजूल तुम्हे कोस कर क्यों अपना आज भी बर्बाद करूँ "
ज़िन्दगी मुस्करा कर रह गयी और बोली , " जब तुम समझ गए हो मर्म तो , औरो को भी बताओ " !
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मुझे दोष देने से पहले खुद के गिरेबान में झांको , अपनी करनी के परिणाम को ख़ुशी ख़ुशी सहो "!!
तब से हर पल खुश रहता हूँ , कुछ भी हो जाता हैं तो खुद को जिम्मेदार समझकर आगे बढ़ता हूँ !
ज़िन्दगी हर पल मुस्करा कर देखते रहती हैं और मैं खुल कर हँसता हूँ !!
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