आसमां के लुटेरे बादल - श्याम श्वेत ये बादल !
बरसते अपनी मनमर्जी से , उमड़ घुमड़ शोर करते बादल !!
अपने में समेटे बूँदों को , धरा को तरसाते बादल !
आँख मिचौली सूरज के साथ करते हैं ये बादल !!
बरसने से पहले खूब बचपना करते बादल !
नियति को मंजूर करने से पहले खूब अठखेलियां करते बादल !!
आज यहाँ , कल कहाँ - पूरी धरती का चक्कर लगाते ये बादल !
किसी के लिए वरदान , किसी के लिए सैलाब लाते ये बादल !!
करने दो शैतानियाँ जरा , धरा में समाने के लिए ही जन्मे हैं ये बादल !
बारिश की बूँदे बनकर कितना कुछ दे जाते हैं ये बादल !!
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