Monday, June 26, 2017

कशमकश

कशमकश रोज़ होती हैं , 
मेरी और मेरी ज़िन्दगी की मुलाकात रोज़ होती हैं।  

कुछ मेरे बहाने , 
कुछ उसके अफ़साने , 
कुछ मेरी शिकायते , 
कुछ उसके उलाहने , 


कुछ नए तजुर्बे , 
कुछ नयी सीखे , 
कुछ ख़ुशी के पल , 
कुछ अवसाद के क्षण , 

हमारी सुबह से शाम यूँ ही होती हैं ,
एक नए कल के इंतजार में हमारी रात कटती हैं।  

Wednesday, June 7, 2017

पर्यावरण बचाइए , पेड़ लगाइये

आओ , मिलकर दुनिया उजाड़ते हैं , 
पेड़ो को अंधाधुंध काटते हैं , 
पानी को प्रदूषित करते हैं , 
हवा में जहर घोलते है,  
आओ मिलकर दुनिया को ख़त्म करते हैं।  

बहुत कुछ तो कर चुके हम , 
थोड़ा और जोर लगाते हैं , 
कौन सोचे आने वाली पीढ़ी की , 
हम लोग तो आज में जीते हैं।  

उन्हें पानी मिले न मिले , 
हवा की शायद उन्हें जरुरत ही न पड़े , 
आओ हम  उनके लिए कंक्रीट के जंगल छोड़ते हैं।  

कही धधकेगी धरती , 
कही बर्फ का जमावड़ा होगा , 
न पानी होगा पीने को , 
हवा में जहर घुला होगा।    

ऑक्सीजन सिलिंडर पीठ में बंधा होगा , 
पानी की एक बूँद के लिए संग्राम होगा , 
अन्न उपजाने को जमीन का अकाल होगा , 
हमारी करनी को हमारी नयी पीढ़ी को भुगतना होगा ।  


( पर्यावरण बचाइए , पेड़ लगाइये)