Monday, June 26, 2017

कशमकश

कशमकश रोज़ होती हैं , 
मेरी और मेरी ज़िन्दगी की मुलाकात रोज़ होती हैं।  

कुछ मेरे बहाने , 
कुछ उसके अफ़साने , 
कुछ मेरी शिकायते , 
कुछ उसके उलाहने , 


कुछ नए तजुर्बे , 
कुछ नयी सीखे , 
कुछ ख़ुशी के पल , 
कुछ अवसाद के क्षण , 

हमारी सुबह से शाम यूँ ही होती हैं ,
एक नए कल के इंतजार में हमारी रात कटती हैं।  

1 comment: